दिनांक माघ २३-गते रोज मंगलबार अपरान्ह ३-बजे जानकी-मन्दिर के प्रांगण मे जनकपुर नागरिक समाज द्वारा आयोजित सामुहिक-संकल्प कार्यक्रम अन्तर्गत विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक अगुवा सभ सहित संचारकर्मी सभके सक्रिय एवं गरिमामय उपस्थिति मे तपसिल बमोजिम उल्लेखित धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सार्वजनिक सरोकार के विषय सभ उपर सार्थक-संवाद क उक्त मांग सभ के पूरा हेत यथाशीघ्र सांस्कृतिक एवं सार्वजनिक कार्यक्रम मार्फत सरोकारवाला निकाय एवं पदाधिकारी सभ उपर नैतिक-दबाब सिर्जना हेत सामुहिक-संकल्प कयल गेल :
क) बहुचर्चित जानकी फुलबारी नापजाँच प्रतिबेदन के
प्रभावकारी-कार्यान्वयन,
ख) धार्मिक एवं सांस्कृतिक नगरी जनकपुरधाम के दीर्घकालीन फोहोर व्यवस्थापन,
ग) देवालय, विद्यालय, चिकित्सालय एवं पुस्तकालय जेहन संवेदनशील एवं सार्वजनिक क्षेत्र के मान्स-मदिरा एवं सुर्तीजन्य पदार्थ मुक्त क्षेत्र घोषणा,
सक्रिय एवं गरिमामय उपस्थिति :
१. श्री सत्यम मुरारी जी,
राष्ट्रिय संयोजक,
(हिन्दु युवा परिषद, नेपाल)
२. श्री धिरेन्द्र कुमार झा, साहित्यकार
३. श्री अमरेन्द्र कुमार झा, ईन्जिनियर
४. श्री रामभरत मण्डल, ईन्जिनियर
५. श्री संजिव कुमार जी, प्रतिनिधि,
(राधा-माधव समिति, जनकपुरधाम)
६. श्री श्रवन कुमार दत्त,संयोजक,
(बालाजी आश्रम, दुधमती-२२)
७. श्री अमर कुमार साह जी,
८. श्री मनोज कुमार चौधरी जी,
९. श्री मनदिप चौधरी जी,
१०. श्री नारायण झा जी,
११. श्री निरज कुमार झा जी,
१२. श्री रुपेन्द्र कुमार झा जी,
१३. श्री संतोष कुमार साह जी,
१४. श्री ईन्द्रभुषण यादव जी, पत्रकार,
( रेडियो टुडे )
१५. श्री ओमप्रकाश साह जी, पत्रकार,
१६. श्री दिपु ठाकुर जी, संयोजक,
(Ecg foundation)
१७. श्री विशाल कुमार दुबे,
टिभी जर्नलिस्ट, (गोल्डेन टिभी)
१८. श्री संतोष कुमार झा,
टिभी जर्नलिस्ट, (गोल्डेन टिभी)
१९. श्री शिवजी यादव जी,
२० श्री विजय कुमार साह जी,
२१. श्री प्रदिप कुमार साह जी,
२२. श्री राम शंकर राय जी,
२३. श्री राम जुगल जी,
२४. श्री देव नारायण पण्डित जी,
२५. श्री राम प्रमोद महतो जी,
२६. श्री विनोद प्रसाद साह जी,
२७. श्री अनिल कुमार मण्डल जी,
२८. श्री नवीन कुमार चौधरी जी,
२९. श्री रौनक कुमार कुशवाहा जी,
३०. श्री मंगलु कोइरी जी,
ओना त सांस्कृतिक आंदोलन सभ के इतिहास लम्बा होइत अछि, कीयाकि सांस्कृतिक प्रवाह कोनो एकटा समस्यापूर्ति तक सीमित नैइ होइत अछि, बल्कि ओ बहुआयामी होइत अछि। सांस्कृतिक समस्या के वाह्य रूप के पाछु अनेक अंतःक्रिया सभ होइत अछि, ताहिहेत कोनो भी सांस्कृतिक आंदोलन अपना भितर समाजिक जीवन के सभ पक्ष के समेटने रहैत अछि!
लेकिन यी केवल संघर्ष नैइ एकटा बहुआयामी सांस्कृतिक-आंदोलन होयवाक चाहि । यी सांस्कृतिक-आंदोलन मात्र जानकी-फुलबारी के अतिक्रमण मुक्त तक सीमित नैइ होयवाक चाहि, बल्कि अहिके प्रत्येक चरण समाज के एकटा विशेष संदेश देब वाला और जागृत कर वाला होयवाक चाहि। यी ऐहन सांस्कृतिक-आंदोलन होयवाक चाहि जे संत, साधु, संन्यासी, संगीत, कला, राजनीति, गांंउ, चौपाल, खेत, खलिहान तक समाज के सामान्य जन के मनोभाव सभ पर एकटा गहरा प्रभाव डाल चाहि। समाजिक जीवन के ओहि सभ पक्ष के स्पर्श कयल जयवाक चाहि जहिके परिणामस्वरूप सामाजिक विकार एवं दुर्बलता सभ के उत्पत्ति होय। यी सांस्कृतिक-आंदोलन समाज के ओइ सभ घाव के भरैत हुए आगु बढ़ चाहि जहिके कारण हिन्दु समाज के वर्षों तक आहत अछि। यी आंदोलन संगठित समाज, समरस हिन्दू, एकात्म नेपाल के पुष्ट कर के सभ उपक्रम के साथ आगु बढ़त।
नेपाली इतिहास के यी विराटतम सांस्कृतिक आंदोलन होयत। यी सांस्कृतिक-आंदोलन में लोग सम्मिलित होयत, बलिदान सहित अनेक लोक सभ द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका के निर्वाह कयल जाओत, लेकिन निर्विवाद रूप स यी सांस्कृतिक-आंदोलन के केन्द्र-बिन्दु नागरिक समाज रह चाहि, जेकरा मानस के चिंगारी प्रखर ज्वाला बैन क समाज के सामने प्रकट होइत रहे।
यी सांस्कृतिक आंदोलन जानकि फुलबारी के अतिक्रमण मुक्त करनाइ तक ही सीमित नैइ रहत और न त सीमित कोनो योजना बनाओत। जानकी फुलबारी अतिक्रमण मुक्त अभियान के माध्यम बनाक सम्पूर्ण प्रदेश और देश के आचार, विचार और व्यवहार स सीयाराममय क देत। यी योजना फुलबारी अतिक्रमण मुक्त के पहिले के भी छल और मंदिर निर्माण के बाद के भी छल।
राजनीतिक क्षेत्र में हिन्दुत्व के अस्पृश्यता के समाप्त कर के लेल राजनीतिक दल सभ के बाध्य क देत। जहि फुलबारी के नाम लेब स भी लोग संकोच करैत अछि, साँस्कृतिक आंदोलन के पूरा होइत-होइत जनबल के दबाव में यी राजनीतिक मुद्दा बैन जायय। साधु-संत सभ के बीच सामाजिक चेतना और उत्तरदायित्व के जागरण में भी यी आंदोलन महत्वपूर्ण भूमिका निभाओय। देश-विदेश के लेखक और साहित्यकार भी हिन्दुत्व के ल क जागृत होयत। सभ क्षेत्र में दुनिया के प्राचीनतम सभ्यता अंगड़ाई लेत।
यी अभियान अपना कार्यक्रम में ओइ गहराई तक उतरत जे समाज के स्पर्श क सके। हिन्दू समाज के मानस के समझ और ओकरा हृदय के झंकृत क देब वाला यी अभियान दूरगामी दृष्टि न केवल जीवन तक बल्कि ओहिके बाद भी प्रभावी रहत।
कोई भी आदमी यी सांस्कृतिक आन्दोलन स दूरी बनाब के लाख प्रयास करे लेकिन यी कार्ययोजना स दूरी बनाक हिन्दू समाज के दूरगामी दिशा नैइ देल जा सकैत अछि। मान्स-मदिरा मुक्त जनकपुर परिक्रमा क्षेत्र, मठ-मन्दिर के अतिक्रमण मुक्त, दीर्घकालीन फोहोर व्यवस्थापन एकटा पड़ाव मात्र रहत नेपाल के सीयाराममय आध्यात्मिकीकरण के कार्य त शेष हि रहत। ओइ मे किछुओ नाम ऐहन होयत जे भुलाब के प्रयास कयला पर भी भुलाओल नैइ जा सकत। ओकर विस्मृति न समाज के हित में होयत और न त संस्कृति के, मुदा केउ चाहे या नैइ चाहे हिन्दु समाज ओकरा सभ के स्मरण करैत ही रहत!नागरिक समाज का आभियांता मुरली मनोहर मिश्र जी जानकारी देलक सप्रमंके रुप्मे /